Equal Work Equal Pay High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया गया है इसमें कहा है कि यदि कोई कर्मचारी ऊंचे पद पर ऑफिसिएटिंग कैपेसिटी में काम कर रहा है तो बिना औपचारिक प्रमोशन के भी वह उस पद के वेतनमान का हकदार होगा अदालत ने साफ कर दिया है कि उच्च पद पर काम करवा कर कम सैलरी देना कानून और पब्लिक पॉलिसी दोनों को विरुद्ध है यह फैसला चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच में उमाकांत पांडे की याचिका पर सुनाया गया जिन्होंने रेलवे इंटर कॉलेज मुगलसराय में टीजीटी होते हुए भी 3 साल से अधिक समय तक हेड मास्टर की भूमिका को निभाया था।
क्या था पूरा मामला?
यह मामला तब शुरू हुआ था जब 30 नवंबर 2004 को हेड मास्टर के रिटायर होने पर पांडे को स्कूल का पूरा चार्ज टीचर इंचार्ज के रूप में दिया गया था उन्होंने 1 दिसंबर 2004 से 6 मार्च 2008 तक लगभग 3 साल 4 महीने हेड मास्टर की जिम्मेदारी को निभाया जब उन्होंने हेड मास्टर के वेतनमान को की मांग की तो रेलवे ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया था कि उन्हें प्रमोट नहीं किया गया था केवल रूटिंग कार्यों के लिए यह जिम्मेदारी सौपी गई थी CAT ने भी रेलवे की दलील मानकर उसके दावों को खारिज कर दिया था।
रिकॉर्ड की जांच से बदल गई तस्वीर
हाई कोर्ट ने भी रिकॉर्ड की जांच में पाया कि विभागीय कार्रवाई के दौरान सभी दस्तावेजों में पांडे को हेड मास्टर कहा गया है चार्जसीट और ऑफिस मेमोरेंडम में भी उन्हें हेड मास्टर मानकर ही आरोप लगाए गए थे कोर्ट के अनुसार यदि विभाग में उन्हें हेड मास्टर की जिम्मेदारी के लिए जवाबदेह ठहराया गया तो अब यह दावा करना गलत होगा कि उनका कार्य केवल रूटिंग प्रकृति के अनुसार था अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह केवल रूटिंग कार्य कर रहे होते तो स्कूल इतने लंबे समय तक सुचारू रूप से नहीं चल पाता इससे साफ हो गया है कि ऑफिसिएटिंग कैपेसीटी में ही काम कर यह काम कर रहे थे।
कोर्ट ने अंतिम आदेश में दी राहत
हाई कोर्ट ने रेलवे की ड्यूल चार्ज वाली दलील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट को Selvaraj बनाम Lt. Governor, Port Bair और Cheif Engineer, Chandigarh बनाम Hari Om Sharma फैसला सुनाया है अदालत ने कहा है कि उच्च पद पर काम करवा कर सैलरी ना देना कानून और सार्वजनिक नीति के विरुद्ध है कोर्ट ने CAT का आदेश को खारिज करते हुए निर्देश दिया है कि पांडे को 1 दिसंबर 2004 से 6 मार्च 2008 तक हेड मास्टर के वेतन को दिया जाना चाहिए जिससे पहले मिली टीजीटी सैलेरी उसमे जोड़ी जाएगी इसके अलावा 2010 से वास्तविक भुगतान तक 6% सालाना ब्याज भी दिया जाना आवश्यक है।
फैसले का व्यापक प्रभाव
इस निर्णय का असर केवल उमाकांत पांडे के मामले तक ही नहीं है बल्कि उन सभी कर्मचारियों के लिए मिसाल बनेगा जो बिना औपचारिक प्रमोशन के महीनो या वर्षों तक उच्च पद पर कार्य भार संभालना पड़ता है अदालत में भी साफ कर दिया है कि विभाग केवल पदोन्नति का बहाना लेकर किसी को वेतन नही रोक सकता अगर किसी को उच्च पद की जिम्मेदारी दी जाती है तो विभाग को उसके अनुरूप वेतन और लाभ देना चाहिए ।

